Thursday, November 19, 2009

सुरमई शाम

 














सुरमई शाम उत्तर आई है
आज फिर तेरी याद आई है


किसी अँधेरे से टकराई नज़रें
इंतज़ार में जो आँख उठाई है


हर चीज़ किनारा किये मुझसे
क्यूँ रूठी मुझसे खुदाई है


कोई आहट भी सुनाई न दे
हर तरफ फैली हुई तन्हाई है


तेरी यादों ने जो दी दस्तक
फिर आँख मेरी भर आई है


तुम आओगे तुम नहीं आओगे
दिल की दिल से हुई लड़ाई है


क्यूँ रूबरू है दिल तेरी चाहत से
क्या तुमको भी मेरी याद आई है

दरवाज़े पे कहीं तुम्ही तो नहीं
कोई फूलों सी महक आई है

2 comments:

  1. दरवाज़े पे कहीं तुम्ही तो नहीं
    कोई फूलों सी महक आई है
    खूबसूरत एहसास बहुत सुन्दर

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