सुरमई शाम
सुरमई शाम उत्तर आई है
आज फिर तेरी याद आई है
किसी अँधेरे से टकराई नज़रें
इंतज़ार में जो आँख उठाई है
हर चीज़ किनारा किये मुझसे
क्यूँ रूठी मुझसे खुदाई है
कोई आहट भी सुनाई न दे
हर तरफ फैली हुई तन्हाई है
तेरी यादों ने जो दी दस्तक
फिर आँख मेरी भर आई है
तुम आओगे तुम नहीं आओगे
दिल की दिल से हुई लड़ाई है
क्यूँ रूबरू है दिल तेरी चाहत से
क्या तुमको भी मेरी याद आई है
दरवाज़े पे कहीं तुम्ही तो नहीं
कोई फूलों सी महक आई है
दरवाज़े पे कहीं तुम्ही तो नहीं
ReplyDeleteकोई फूलों सी महक आई है
खूबसूरत एहसास बहुत सुन्दर
bahut sunder likha hai....
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