जब जब ग़म का पैगाम आया
मेरे अध्रों पर तेरा नाम आया
जब भी खिलते फूलों को देखा
लगा जैसे तेरा सलाम आया
बिखरी जुल्फें आँखों में नमी
तू होकर किस पे कुर्बान आया
जख्म दिया तुने रुला दिया
पर सच था मेरा गुमान आया
क्यूँ तालियाँ हुई मेरे नाम
तेरा गीत जो मैंने गुनगुनाया
खुशबू गुलाबी और शबनमी रूप तेरा
जैसे मेरी कज़ा का सामान आया
मैं दीवानी हुई तेरे नाम की
पत्ते पत्ते से यह इल्जाम आया
उतार के नकाब हसीं जिस्म की
महफिल में होकर बेनाम आया
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