Monday, November 16, 2009

उनकी यादों को ज़रा लौ देना



उनकी यादों को दिल में संजो लेना
मन के धागे में  ये फूल पिरो लेना


याद करके उन्हें जो मन हो भारी
ग़म न करना  थोडा सा रो लेना


है   दुनिया का  मेला  भरा  हुआ
कोई न मिले तो खुद को खो देना


बीते   हुए  पल  जो   दें  दस्तक
दहलीज़ पलकों की ज़रा भिगो देना



घबराना नहीं  देख दाग़  चाँद पर
उनको अश्कों  से अपने  धो देना


जलाना  दिल   अँधेरी  रातों में
उनकी  यादों  को ज़रा  लौ  देना


छोड़ कर कश्ती को माझी के सहारे
हो   बेफिक्र  ज़रा   सा  सो  लेना

6 comments:

  1. याद करके उन्हें जो मन हो भारी
    ग़म न करना थोडा सा रो लेना
    रो लेना भी इस मर्ज की दवा है शायद

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  2. aaapki yeh rachna khoob hai..
    par mujhe nijji taur par ek baat keh rha hu
    है दुनिया का मेला भरा हुआ
    कोई न मिले तो खुद को खो देना
    ....
    है दुनिया का मेला भरा हुआ
    कोई न मिले तो खुद को na खो देना
    shyd istra theeek rhega
    yeh meri soch thi
    take care

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  3. जलाना दिल अँधेरी रातों में
    उनकी यादों को ज़रा लौ देना.

    bahut khub maza aa gay pad kar..

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  4. छोड़ कर कश्ती को माझी के सहारे
    हो बेफिक्र ज़रा सा सो लेना

    आपका नाम मंजीत है या महक .....खैर जो भी हो बहुत अच्छा लिख रहीं हैं ...यूँ ही लिखतीं रहे ....!!

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  5. घबराना नहीं देख दाग़ चाँद पर
    उनको अश्कों से अपने धो देना


    जलाना दिल अँधेरी रातों में
    उनकी यादों को ज़रा लौ देना


    छोड़ कर कश्ती को माझी के सहारे
    हो बेफिक्र ज़रा सा सो लेना

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  6. जलाना दिल अँधेरी रातों में
    उनकी यादों को ज़रा लौ देना

    Bahut Badhiya Manjeet Ji... Maza aa gaya


    Govind, Jamshedpur

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