Thursday, April 29, 2010

क्यूँ मनवा डूबा जाए रे

क्यूँ मनवा डूबा जाए रे
कौनसा गम इसे सताए रे

पत्थर से भी कड़ा है यूँ
आँखों से जल बहाए रे
 

दीवाना पतझड़ों का यह
फूलों को भी ललचाये रे
 

कानों का कच्चा है दिल तो
संग हवायों के गाये रे
 

भंवर है दिखता भंवरा
ये कैसे जाल विछाये रे
 

मुट्ठी हूँ जैसे रेत की
भर भर के फिसलाए रे
 

ये खुशबू तेरी कामिनी  
फिरे मुझको बहकाए रे

Tuesday, April 13, 2010

एक अपनी जिंदगी दे

ख़ुशी दे या ग़मी दे
पर यूँ ना उदासी दे
सीने में कुछ अरमा दे
और टूटने का सामां दे
दिल में कोई दर्द दे
ऐसी ना बेबसी दे


किसी का तू मिलन दे
किसी का विछरना दे
मन तडपाती याद दे
खाली ना त्रिष्णगी दे


कोई सपना जो ख़ुशी दे
या किसी बहाने अश्क दे
एक पराया अजनबी दे
उसकी नज़र खाली सी दे


दुःख का कोई नाम दे
कोई तो इलज़ाम दे
मेरा जुर्म तो बता दे
ऐसे तो न सजा दे


बेबात ना घुटन दे
जी को ना जलन दे
दे चाहे ग़म भरी  दे
एक अपनी जिंदगी दे
ख़ुशी दे या ग़मी दे
पर यूँ ना उदासी दे

Monday, April 5, 2010

दाग़ ए दिल छुपते नहीं छुपाने से

दाग़ ए दिल छुपते नहीं छुपाने से
ज़िक्र ले ही आयें तेरा बहाने से

कौन हो तुम और क्या हो मेरे
समझ ना पाए वो लाख बताने से

हम तो परवाने हैं तेरे नाम के
दूर जायेंगे ना अब यूँ सताने से

मोहब्बत में जल के रोशन होंगे
और महकेंगे हम खाक उड़ाने से

सजदा नहीं सर मांगे है तेरा प्यार
माने ना तू फक्त सर झुकाने से

भरी महफ़िल में उजडों से हम
खिल उठेंगे एक झलक पाने से

तू आया दिल में तो होश आया
जी उठे हैं पीकर तेरे महखाने से
 

मिटे ना हस्ती खाक में सो जाने से
जलता नहीं ग़म  दिल जलने से