Monday, April 5, 2010

दाग़ ए दिल छुपते नहीं छुपाने से

दाग़ ए दिल छुपते नहीं छुपाने से
ज़िक्र ले ही आयें तेरा बहाने से

कौन हो तुम और क्या हो मेरे
समझ ना पाए वो लाख बताने से

हम तो परवाने हैं तेरे नाम के
दूर जायेंगे ना अब यूँ सताने से

मोहब्बत में जल के रोशन होंगे
और महकेंगे हम खाक उड़ाने से

सजदा नहीं सर मांगे है तेरा प्यार
माने ना तू फक्त सर झुकाने से

भरी महफ़िल में उजडों से हम
खिल उठेंगे एक झलक पाने से

तू आया दिल में तो होश आया
जी उठे हैं पीकर तेरे महखाने से
 

मिटे ना हस्ती खाक में सो जाने से
जलता नहीं ग़म  दिल जलने से
 

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