इस आस निरास के खेल में
फिर आसा की जीत हुई
दुखों की किश्ती डूब गयी
एक कली ख़ुशी की खिल गयी
एक नया सवेरा आया है
दुखों की किश्ती डूब गयी
एक कली ख़ुशी की खिल गयी
एक नया सवेरा आया है
घर बाहर रोशनाया है
मन की कोंपल फूटी है
मन की कोंपल फूटी है
हरियाली फिर बिखर गयी
गर्मी की तपती धुप भी
दिल को भा रही है आज
मेरा रोम रोम खिल गया
जैसे पवन सी झुल गयी
कितने सारे फूल देखो खिल उठे
महक से आलम सराबोर है
तितलियों के झुरमत आये हैं
रंगों की होली खिल गयी
तेरी रहमत पे शुक्रगुजार हूँ
हैरान हूँ की तू मेरे कितना पास है
ख़ुशी और ग़म के परदों में
क्यूँ तेरी झलक नहीं मिल रही
गर्मी की तपती धुप भी
दिल को भा रही है आज
मेरा रोम रोम खिल गया
जैसे पवन सी झुल गयी
कितने सारे फूल देखो खिल उठे
महक से आलम सराबोर है
तितलियों के झुरमत आये हैं
रंगों की होली खिल गयी
तेरी रहमत पे शुक्रगुजार हूँ
हैरान हूँ की तू मेरे कितना पास है
ख़ुशी और ग़म के परदों में
क्यूँ तेरी झलक नहीं मिल रही
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