Friday, November 27, 2009

'हम भी गाईड बन गए'

हाँ उसने कहा था हमसे
ख़ुशी चाहते हो तो
मिट जाओ तुम पहले
एक नहीं हजारों मिलेंगी
हमने यकीं न किया
दर ब दर भटकते रहे 
थक हार के जो चूर हुए
कितने लाचार पड़े थे हम
जिन्दगी और मौत में
कोई अंतर नहीं बचा था
बस एक जिस्म ज़रा सा हिल रहा था


कोई उधेर से गुज़रा बेसबब
राह भटका था शायद
एक पल देने की इल्तजा की हमसे
रास्ता बताने की गुज़ारिश की हमसे
हमने बता दिया पर यह क्या?
उसके चेहरे की मुस्कान
हमारे चेहरे पर भी खिल आई
 यह कैसी अनोखी ख़ुशी पायी


हैरान हुए हम सोचने लगे 
हमारे सामने रास्ते थे
और वोह राहगीर
उसकी मंजिल और हम
नहीं हम तोह कहीं नहीं थे वहां
 अब उनका कहा याद आया

हमने इस्सी रास्ते को अपनाया 
अरे हाँ भाई
'हम भी गाईड बन गए'

5 comments:

  1. हाँ उसने कहा था हमसे
    ख़ुशी चाहते हो तो
    मिट जाओ तुम पहले
    एक नहीं हजारों मिलेंगी
    ..
    gud one

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  2. हैरान हुए हम सोचने लगे
    हमारे सामने रास्ते थे
    और वोह राहगीर
    उसकी मंजिल और हम
    नहीं हम तोह कहीं नहीं थे वहां
    अब उनका कहा याद आया
    हमने इस्सी रास्ते को अपनाया
    अरे हाँ भाई
    'हम भी गाईड बन गए'


    बहुत सुंदर भाव पिरोये आपने मन्जीत जी ......!!

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  3. kya baat hai..... 'Hum Bhi Guide ban gaye'.

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  4. ... बेहद सुन्दर रचना !!!!

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