Monday, July 5, 2010

जो गुज़रा है

जो गुज़रा है कुछ दे गया
जो आएगा ले सकता है
पलों को बांधे रखने में
हर कोई जी थकता है

आनी जानी माया है
क्यूँ तू फिर ललचाया है
सच्चा बोले बोल फकीरा 
कहते हैं की बकता है
 

जियादा है जो तेरे पास 
और की तू मत रखना आस
उसके दिल का हाल भी जान
जो जूठन को तकता है
 

जीवन जिसने तुझको अरपा 
तुमने उसको ही है सरपा
दो तो मीठे बोल वोह चाहे 
उसमे भी तू थकता है

फल बनता जब फूल खिले
धीरे धीरे मिठास मिले 
कच्चा ही ना तोड़ो तुम
फल हौले हौले पकता है

हर आवाज़ कान सुनते ना
सब कुछ आँख भी देखे ना
दिल से तुम महसूस करो
चुप छुप कोई सिसकता है

राम गए पर राम रहा है
कृष्ण का भी नाम रहा है
नाम कोई ईशवर नहीं होता
कर्मों का मान झलकता है

करता तू पर नाम है उसका
जो भी रखदो नाम वो उसका
'महक'  तो कागज़ का है फूल
बन खुशबू वोही महकता है

3 comments: