जो गुज़रा है कुछ दे गया
जो आएगा ले सकता है
पलों को बांधे रखने में
हर कोई जी थकता है
आनी जानी माया है
क्यूँ तू फिर ललचाया है
सच्चा बोले बोल फकीरा
कहते हैं की बकता है
जियादा है जो तेरे पास
और की तू मत रखना आस
उसके दिल का हाल भी जान
जो जूठन को तकता है
जीवन जिसने तुझको अरपा
तुमने उसको ही है सरपा
दो तो मीठे बोल वोह चाहे
उसमे भी तू थकता है
फल बनता जब फूल खिले
धीरे धीरे मिठास मिले
कच्चा ही ना तोड़ो तुम
फल हौले हौले पकता है
हर आवाज़ कान सुनते ना
सब कुछ आँख भी देखे ना
दिल से तुम महसूस करो
चुप छुप कोई सिसकता है
राम गए पर राम रहा है
कृष्ण का भी नाम रहा है
नाम कोई ईशवर नहीं होता
कर्मों का मान झलकता है
करता तू पर नाम है उसका
जो भी रखदो नाम वो उसका
'महक' तो कागज़ का है फूल
बन खुशबू वोही महकता है
"बहुत बढ़िया..."
ReplyDeleteachhi lagi aapki kavita..
ReplyDeletesundar kavita.....
ReplyDelete'karta tu par.......ban khushboo vo mahakta hai.
awesome.