मुस्कुराकर ख़ुशी का बहाना दे दिया
दर्द ए दिल को नया तराना दे दिया
बेसुध पड़े हुए थे ग़मों को तान के
दिल के हाथ में एक पैमाना दे दिया
बस पिलाने में ही साकी बहक गया
झूमके नशे में महखाना दे दिया
मांगी जो मोहब्बत की निशानी उसने
निकाल के कोई ग़म पुराना दे दिया
प्यार निभाना तो सीखे कोई आपसे
एक ही सजदे में ज़माना दे दिया
दरियादिली तो उसकी देख ना 'महक'
अपना तो ना दिया पर बेगाना दे दिया
बस पिलाने में ही साकी बहक गया
ReplyDeleteझूमके नशे में महखाना दे दिया
मांगी जो मोहब्बत की निशानी उसने
निकाल के कोई ग़म पुराना दे दिया
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
मिथुन दा के शब्दों में कहूँ.....??क्या बात....क्या बात.....क्या बात.......!!
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