Tuesday, March 16, 2010

मुस्कुराकर ख़ुशी का बहाना दे दिया

मुस्कुराकर ख़ुशी का बहाना दे दिया
दर्द ए दिल को नया तराना दे दिया


बेसुध पड़े हुए थे ग़मों को तान के
दिल के हाथ में एक पैमाना दे दिया


बस पिलाने में ही साकी बहक गया 
झूमके नशे में महखाना दे दिया


मांगी जो मोहब्बत की निशानी उसने
निकाल के कोई ग़म पुराना दे दिया


प्यार निभाना तो सीखे कोई आपसे
एक ही सजदे में ज़माना दे दिया


दरियादिली तो उसकी देख ना 'महक'
अपना तो ना दिया पर बेगाना दे दिया

2 comments:

  1. बस पिलाने में ही साकी बहक गया
    झूमके नशे में महखाना दे दिया

    मांगी जो मोहब्बत की निशानी उसने
    निकाल के कोई ग़म पुराना दे दिया


    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  2. मिथुन दा के शब्दों में कहूँ.....??क्या बात....क्या बात.....क्या बात.......!!

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