दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें
कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें
रात भर गिन गिन के सहेजे थे जो
हुई सुबह तो हम वोही तारे ढूंढें
खफा फूलों से हैं तेरे जाने के बाद
गली गली में हमको ये सारे ढूंढें
आँखों में भर भर के बेशुमार आंसू
हम अपनी ही नज़र के नज़ारे ढूंढें
कब्र में छुपे हैं उनको सताने को
देखें कहाँ कहाँ हमें प्यारे ढूंढें
कुछ तो बात होगी अपनी भी नज़र में
ऐसे तो ना दुश्मन हमें हमारे ढूंढें
खाक छान छान के बेकारी की 'महक'
आज भी उनके दर पे गुज़ारे ढूंढें
Manjit Ji,
ReplyDeletewaah bahut khoob sunder she'r hain
दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें
कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें
कुछ तो बात होगी अपनी भी नज़र में
ऐसे तो ना दुश्मन हमें हमारे ढूंढें
Surinder
Manjeet bahut hee badiya
ReplyDeletehiiiiiiii,
ReplyDeletenice......
दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें
कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें.......... definately a good work.
are vaah......koshish acchhi hai....magar isase bhi acchhi chaahiye.....
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