Friday, February 19, 2010

दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें

दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें 
कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें

रात भर गिन गिन के सहेजे थे जो
हुई सुबह तो हम वोही तारे ढूंढें 

खफा फूलों से हैं तेरे जाने के बाद
गली गली में हमको ये सारे ढूंढें

आँखों में भर भर के बेशुमार आंसू
हम अपनी ही नज़र के नज़ारे ढूंढें

कब्र में छुपे हैं उनको सताने को
देखें कहाँ कहाँ हमें  प्यारे ढूंढें

कुछ तो बात होगी अपनी भी नज़र में
ऐसे तो ना दुश्मन हमें हमारे ढूंढें

खाक छान छान के बेकारी की 'महक'
आज भी उनके दर पे गुज़ारे ढूंढें

4 comments:

  1. Manjit Ji,
    waah bahut khoob sunder she'r hain
    दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें
    कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें
    कुछ तो बात होगी अपनी भी नज़र में
    ऐसे तो ना दुश्मन हमें हमारे ढूंढें
    Surinder

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  2. hiiiiiiii,
    nice......
    दिल जलाएं और फिर इशारे ढूंढें
    कहाँ कहाँ से इश्क के सहारे ढूंढें.......... definately a good work.

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  3. are vaah......koshish acchhi hai....magar isase bhi acchhi chaahiye.....

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