Monday, February 1, 2010

चलते जा रहे हैं


उदासियों के काफिले चलते जा रहे हैं
बेचैनी के सिलसिले चलते जा रहे हैं

ख़ामोशी का तीर कोई भेदे है
मेरे लहू के जलजले चलते जा रहे हैं

आँख कान बंद लब जुड़े हुए
यूँ तन्हा दिलजले चलते जा रहे हैं

तेरी नगरी में बनके तमाशा
तेरी धुन के मनचले चलते जा रहे हैं

तंग नज़रें तोडें हसरतें
पानी के बुलबुले चलते जा रहे हैं

बेजारी बेदिली हो गयी ज़मीन से
अर्श है पैरों तले चलते जा रहे हैं

क्या ठिकाना कौन डगर चले
तेरी बेरुखी के छले चलते जा रहे हैं

ज़माने से बेखबर राह-ए-इशाक पर
एक बार जो चले चलते जा रहे हैं

2 comments:

  1. so nice great awesome... lovely.. heart touching ... khub..

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  2. bahut achcha...b/w frm wer u get these pics ??

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