Thursday, January 14, 2010

महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का



महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का
आज मज़ा आएगा साकी के जाम का

नज़रों में  सैंकड़ों जुगनू चमक उठे
बरसों बाद आया ख़त जो मेरे नाम का

याद आए पल जो तेरे साथ गुज़रे थे
फिर ख्याल आ गया उस तन्हा शाम का

किस बादल में मेरा चाँद छुपा बैठा  है
ऐ हवा बता दे पता उसके  मुकाम का 

यूँ तो गुलशन में गुंचे हजारों खिलते हैं
एक भी गुल ना खिला कोई मेरे नाम का

हालात काबिज़ हो गए मेरे जज्बातों पर
कोई ख़त ना लिख सकी दुआ सलाम का

ऐसे तो सूरज रोज़ बस्ती में आया कीया
 पर अँधेरा ना गया ग़ुरबत के नाम का

बिन तेरे शहर में मचा हुआ कोहराम है
गुजरता हुआ हर लम्हा लगे है हराम का

4 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. उत्सुकतावश ही पिटारा के चित्ठों से गुजर रहा था. हिन्दी नेट में वैविध्य और पठनीय मुश्किल है. आप के पृष्ठों में प्रेम के यादों की ही महक है मगर कायदे की लय, ताल और भावनाओं की कोमलता के साथ जिनमें खूबसूरती है.
    मैं चाहता था कि शुभकामना को अपनी ऐसी ही किसी के लिये किसी रचना से यहां पुष्ट करूं मगर अभी रहने दूं. हो सकता है उसे रूटीन में लिया जाकर अन्यथा समझा जाता.

    ReplyDelete
  3. नज़रों में सैंकड़ों जुगनू चमक उठे
    बरसों बाद आया ख़त जो मेरे नाम का

    याद आए पल जो तेरे साथ गुज़रे थे
    फिर ख्याल आ गया उस तन्हा शाम का

    किस बादल में मेरा चाँद छुपा बैठा है
    ऐ हवा बता दे पता उसके मुकाम का

    bahaut pyare ehsaaa hai....pyaare bhi nahi bahaut komal ehsaas hai ek najuk phool ki panhudi jaise

    bahat hi acchi poem manjit g
    meri shubhkamnaa swikar karen

    ReplyDelete
  4. Manjeet Ji,
    sunder, saral, badhiya she'r hain ...

    महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का
    आज मज़ा आएगा साकी के जाम का

    यूँ तो गुलशन में गुंचे हजारों खिलते हैं
    एक भी गुल ना खिला कोई मेरे नाम का

    हालात काबिज़ हो गए मेरे जज्बातों पर
    कोई ख़त ना लिख सकी दुआ सलाम का
    Surinder

    ReplyDelete