Thursday, January 7, 2010

अपनी मोहब्बत को


अपनी मोहब्बत को दिल में ही छुपा रखना
किसी की नज़र ना लगे ज़रा पर्दा रखना

बड़े भोले हैं सनम मेरे भेद ना जाने मन का
धीरे से उनके कानों में पर फुसफुसा रखना

उनकी नज़र ए कर्म जो मिल जाए मुझको
फिर कैसे कोई शिकवा कोई गिला रखना

उनकी पलकों तले सजे होंगे जो खाब मेरे
उनके हर दर्द को अपने मन में दबा रखना


जिन्दगी में कभी उनको मेरी जरुरत हो 
अपना हाथ बड़ा रखना कदम मिला रखना

असीम प्यार को देख के अभिमानी ना हों 
इस बात पे नज़र रखना दूरी ज़रा ज़रा रखना

3 comments: