महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का
महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का
आज मज़ा आएगा साकी के जाम का
नज़रों में सैंकड़ों जुगनू चमक उठे
बरसों बाद आया ख़त जो मेरे नाम का
याद आए पल जो तेरे साथ गुज़रे थे
फिर ख्याल आ गया उस तन्हा शाम का
किस बादल में मेरा चाँद छुपा बैठा है
ऐ हवा बता दे पता उसके मुकाम का
यूँ तो गुलशन में गुंचे हजारों खिलते हैं
एक भी गुल ना खिला कोई मेरे नाम का
हालात काबिज़ हो गए मेरे जज्बातों पर
कोई ख़त ना लिख सकी दुआ सलाम का
ऐसे तो सूरज रोज़ बस्ती में आया कीया
पर अँधेरा ना गया ग़ुरबत के नाम का
बिन तेरे शहर में मचा हुआ कोहराम है
गुजरता हुआ हर लम्हा लगे है हराम का
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ReplyDeleteउत्सुकतावश ही पिटारा के चित्ठों से गुजर रहा था. हिन्दी नेट में वैविध्य और पठनीय मुश्किल है. आप के पृष्ठों में प्रेम के यादों की ही महक है मगर कायदे की लय, ताल और भावनाओं की कोमलता के साथ जिनमें खूबसूरती है.
ReplyDeleteमैं चाहता था कि शुभकामना को अपनी ऐसी ही किसी के लिये किसी रचना से यहां पुष्ट करूं मगर अभी रहने दूं. हो सकता है उसे रूटीन में लिया जाकर अन्यथा समझा जाता.
नज़रों में सैंकड़ों जुगनू चमक उठे
ReplyDeleteबरसों बाद आया ख़त जो मेरे नाम का
याद आए पल जो तेरे साथ गुज़रे थे
फिर ख्याल आ गया उस तन्हा शाम का
किस बादल में मेरा चाँद छुपा बैठा है
ऐ हवा बता दे पता उसके मुकाम का
bahaut pyare ehsaaa hai....pyaare bhi nahi bahaut komal ehsaas hai ek najuk phool ki panhudi jaise
bahat hi acchi poem manjit g
meri shubhkamnaa swikar karen
Manjeet Ji,
ReplyDeletesunder, saral, badhiya she'r hain ...
महफ़िल में रंग घुल गया है तेरे नाम का
आज मज़ा आएगा साकी के जाम का
यूँ तो गुलशन में गुंचे हजारों खिलते हैं
एक भी गुल ना खिला कोई मेरे नाम का
हालात काबिज़ हो गए मेरे जज्बातों पर
कोई ख़त ना लिख सकी दुआ सलाम का
Surinder