चैन नहीं आता जब तक कोई दर्द नहीं होता
आंसूयों की नमी से हर लम्हा सर्द नहीं होता
मेरी उदासियों में यूँ झलके तेरा चेहरा
जैसे मेरी बेचैनियों से ये बेगरज नहीं होता
सीने से लगा रहता है धड़कन की तरह
अपना है ये ग़म कभी बेदर्द नहीं होता
दर्द ए इश्क की दवा मिल ना पायी अभी तक
छूट जाए किसी तरह ये ऐसा मर्ज़ नहीं होता
कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
बहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता
दर्द दिल का किसको जाके सुनाएं हम महक
उल्फत के मारों का कोई हमदर्द नहीं होता
कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
ReplyDeleteबहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता
दर्द दिल का किसको जाके सुनाएं हम महक
उल्फत के मारों का कोई हमदर्द नहीं होता.
शेर बहुत पसंद आये.
नए साल का जबरदस्त आगाज़ हुआ है..
कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
ReplyDeleteबहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता..
bahaut khoobsoorat manjeet
bahaut acchi aur chune wale shabd..
dr tomar
so nice... bahut hi sunder...
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