Saturday, January 2, 2010

बहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता


चैन नहीं आता जब तक कोई दर्द नहीं होता
आंसूयों की नमी से हर लम्हा सर्द नहीं होता

मेरी उदासियों में यूँ झलके तेरा चेहरा
जैसे मेरी बेचैनियों से ये बेगरज नहीं होता

सीने से लगा रहता है धड़कन की तरह
अपना है ये ग़म कभी बेदर्द नहीं होता

दर्द ए इश्क की दवा मिल ना पायी अभी तक
छूट जाए किसी तरह ये ऐसा मर्ज़ नहीं होता

कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
बहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता

दर्द दिल का किसको जाके सुनाएं हम महक
उल्फत के मारों का कोई हमदर्द नहीं होता

3 comments:

  1. कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
    बहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता

    दर्द दिल का किसको जाके सुनाएं हम महक
    उल्फत के मारों का कोई हमदर्द नहीं होता.

    शेर बहुत पसंद आये.
    नए साल का जबरदस्त आगाज़ हुआ है..

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  2. कौन रखता हिसाब तेरी जुदाईयों के कहर का
    बहते आंसूयों का लेखा कहीं दर्ज नहीं होता..

    bahaut khoobsoorat manjeet
    bahaut acchi aur chune wale shabd..

    dr tomar

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