Monday, December 28, 2009

बात दिल की जो बता दी खता की





बात दिल की जो बता दी खता की
तुझको मुड़ने को सदा दी खता की

माना की सब रौशनी है तेरे दम से
इंतज़ार की शमा जला दी खता की

शोख परिंदों को भाती  हैं बहारें ही
मैंने उदास ग़ज़ल सुना दी खता की

ग़म बहुत छुपाया मगर बह निकला
पानी में जो आग लगा दी खता की

बियाबानों में हैं लाश अपनी ढो रहे
तेरे नाम ये जान लगा दी खता की

तन्हा काली रातों में गिनते हैं तारे
तुझे सूरज होने की दुआ दी खता की

3 comments:

  1. wah wah wah... kewal ye hi sada hai is gazal ke liye or aapke liye...

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  2. bahut hi khoobsurt Manjeet ji..
    माना की सब रौशनी है तेरे दम से
    इंतज़ार की शमा जला दी खता की .. ih sheyar tan jaan hi ik dam tumb giya.. baaki vi shaandaar ne...

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