Monday, December 14, 2009

तुम आए और चले गए



तुम आए और चले गए हमने देखा यही
भूले सब जो हमने सुनी और तुमने कही

लम्बी ऋतू पतझड़
और बहारें दो दिन की
देख  मेरी हालत फिर से हो गयी है वोही

तुझको रख  दिल में फिर देखूं इधर उधर
पलकें विछाये हूँ मैं तेरा इंतज़ार कर रही

बेशक्क परवानो का अंजाम है जल जाना
पर शम्मा का सिसकना भी देखो तो सही

दूरियां ही दूरियां हैं दूर तक दिखाई देतीं
जाने क्या है किस्मत में  और क्या नहीं

खुशनसीब हैं दरिया सागर से जा मिलता
ना समझे कोई जुदाई जो किनारों ने सही


3 comments:

  1. बेशक्क परवानो का अंजाम है जल जाना
    पर शम्मा का सिसकना भी देखो तो सही
    बढिया है.

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  2. खुशनसीब हैं दरिया सागर से जा मिलता
    ना समझे कोई जुदाई जो किनारों ने सही

    bahut khooob ,,,behad badhiya najm hai manjeet ji aapke blog par aakar accha laga ...fursat se apki purani najme bhi padhoongi ..bahut sunder likha hai aapne ..ase hi likhti rahiya ...best wishes,,,:)

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