आँखें बंद करूँ या ना
तेरे इश्क की धुन में जाने मैं खोई कहाँ
दुन्दुं तुझको दर ब दर इधर उधर जहाँ वहां
हर गली में चुप्पी है हर मोड़ पथराया जैसे
शोर है मेरे मन का दुनियां तो पड़ी है सुंसान
फूल मुस्कुराते रहे और बहारें हंसती रहीं
किसी ने न पूछा मुझसे तू खड़ी है क्यूँ वीरां
बादल गरजे सावन बरसे बूँदें बिखरती रहीं
कोई बूँद गिर न मन पे तोडती जो मेरा गुमां
घूमी धरती अम्बर घूमे फिर भी न दीदार हुआ
थकी फिरके मारी मारी कहीं मिला न तेरा निशां
अब जाना कहीं और नहीं तुमको ही आना होगा
सपनों में आओगे या सचमें आँखें बंद करूँ या ना
bahut sunder... khubsurat...
ReplyDeletehaan kabhi kabhi har jadah ghum lene par bhi didaar nahi hota....
ReplyDeletebahut achcha likha hai aapne..........
bahut hee sunder likha hai
ReplyDeletebahut achhe ehsaas han ..
ReplyDeleteतेरे इश्क की धुन में जाने मैं खोई कहाँ
दुन्दुं तुझको दर ब दर इधर उधर जहाँ वहां ...isda rhytm kamaal hai.. especially second line.. but last two couplets are going to much longer than first three... first two lines are 26 & 25.. but in end it is reaching around 30,31..