Saturday, October 31, 2009

तुमसे मिलके


तुमसे मिलके अपनी तन्हाई याद आई
अपने जख्मों की गहराई याद आई
जब विछर गए थे तुम मुझसे
मैं हुई थी शुदाई याद आई


रंग लेके उधर फूलों से
एक चादर ख़ुशी की ओड़ी थी
झुकी झुकी सी पलकों से
गिरती अश्कों की लड़ी याद आई


तुम पास ही थे मेरे कितने
पर तुमको अपना न सकी
फिर मिले तो किस हाल में
जब हुई मैं परायी याद आई


जानती हूँ बहुत उधार हो तुम
कोई रास्ता खोज निकालोगे
फिर गीत ख़ुशी के गुन्जेंगे
तुम संग होगी विदाई याद आई


तुमसे मिलके अपनी तन्हाई याद आई
अपने जख्मों की गहराई याद आई
जब विछर गए थे तुम मुझसे
मैं हुई थी शुदाई याद आई

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