Wednesday, October 28, 2009

तेरी याद



तेरी याद दिल  से भुलाएं कैसे?
एक और दिल को ठोकर लगायें कैसे?


जब तक जिन्दा हैं मेरे अरमान
तुझसे दूर जाएँ तो जाएँ कैसे?


मैं मेरी को खूब हवा दे दी
अपनी हस्ती को अब मिटायें कैसे?


फूलों के तराने गाते रहे
काँटों से दामन छुडाएं कैसे?


बचते रहे तेरी जुल्फ के जाल से
पर तेरे साए को भगाएं कैसे?


दिल के टुकडों से तसल्ली न हुई
खुद को सूली पे चाडाएं कैसे ?


अब चुप है दिल दर्द में भी
इसको रुलाएं तोह रुलाएं कैसे ?

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