Thursday, October 29, 2009

तोह कोई बात बने



दिल में तो सदा ही रहते हो
सामने आओ तो कोई बात बने
सोते जागते खाब दिखाते हो
ख़ाब में आओ तो कोई बात बने

क्यूँ रहते हो पर्दानाशीनो से
क्यूँ झलक दिखलाते नहीं
किसी रोज़ प्यारे मुख से
पर्दा हटाओ तोह कोई बात बने

देते हो ग़म जुदाई के
कभी आके पास न मिलते हो
इन जख्मों से न मौत आये
सामने आओ तो कोई बात बने

जल बिन मछली मर जाए
मैं बिन तेरे क्यूँ न मरूं
हर पल रहूँ सिसकती मैं
यह राज़ बताओ तो कोई बात बने

कब तक तरसोगे मुझको
कब अपना दरस दिखाओगे
इस से पहले की जान जाए
तुम आओ तोह कोई बात बने

3 comments:

  1. सच कह रहे हो आप प्यार मे कुछ ऐसा ही एहसास हर एक घडी हर एक सेकेण्ड और न जाने कितनी बेताब होती धडकने मिलने की आरजू लिये हर एक पल दम तोडती लम्हे मौत से बत्तर होती जीवन मानो है ही नही..........बेहद सुन्दर रचना!

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  2. bahut hee sunder likhti hai aap. Really very nice poem

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  3. Aaap ki poems padhke hum toh thodi derr kho gaye. Itni lively or sunder hai ki jitna bhi tariff karein kum hai. Aap aisi likte rahe aur aapke fans ko anand dete rahe. You deserve a big applause.

    Subrat

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