Tuesday, October 27, 2009

जब सारी दुनिया सोती है


जब सारी दुनिया सोती है
एक खिड़की कोई खुलती है
यादों के जुगनू आते हैं
और एक महफिल सी जुड़ती है

कुछ खट्टे मीठे पल उसमें
अंगडाइयां फिर लेते हैं
कभी ख़ुशी की बारिश होती है
कभी दर्द की आंधी झूलती है

जिस पल ने हंसाया था मुझको
अब आंसू बन के आया है
इस पल के अँधेरे में
उसकी ही नमी सी घुलती है

फिर याद किसी की आई है
फिर आँख से आंसू टपका है
पर देख के उन दो नैनो को
होंठों पे हंसी भी खिलती है

जब सारी दुनिया सोती है
एक खिड़की कोई खुलती है
यादों के जुगनू आते हैं
और एक महफिल सी जुड़ती है

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