अपनी हस्ती को मिटा के चले
सजदे में सिर झुका के चले
डाली एक निगाह जो खुद पे
नज़रों से नज़र चुरा के चले
अपनी आहों की आघोष में
तेरी तस्वीर छुपा के चले
तेरी रौशनी से ले एक किरण
अँधा मन रोशना के चले
तू दरिया है और सागर भी
कतरे में हम समा के चले
ऐसी तेरे इश्क की धुन लगी
कि हर नफरत भुला के चले
हम तो तुझमे ही खोये रहे
कहते दिल में बसा के चले
हम तो तुझमे ही खोये रहे
ReplyDeleteकहते दिल में बसा के चले
bahut khoob....
"ऐसी तेरे इश्क की धुन लगी
ReplyDeleteकि हर नफरत भुला के चले"
बहुत सुंदर