Tuesday, March 2, 2010

तेरा मुझपर ये इलज़ाम क्यूँ है ?

तेरा मुझपर ये इलज़ाम क्यूँ है ?
फिर भी होंठों पे मेरा नाम क्यूँ है?

तोड़ डाले थे जो सब नाते पहले
बाद मुद्द्त के ये पैग़ाम क्यूँ है?

बाग़ से कोई मेरा  रिश्ता नहीं
फूल से आ रहा सलाम क्यूँ है?

मैंने खुदको मिटाया उसकी खातिर
मुझको ही कर चला बदनाम क्यूँ है?

उम्र गुजरी जिसे अपना कह कह के
आज बेगाना हुआ वो मुकाम क्यूँ है?

सूखे पत्ते सी हुई हस्ती अपनी 
निगाहों में यह अक्स ए जाम क्यूँ है?

प्यार ही प्यार जो हो बांटता रहा
रहा सख्श वो अक्सर गुमनाम क्यूँ है ?

2 comments:

  1. pyaar hi pyaar ho jo bant`taa rahaa
    rahaa shakhs wo aksar gumnaam kyu hai

    ye sher khaas taur par bahut
    zyaada pasand aaya hai

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  2. तोड़ डाले थे जो सब नाते पहले
    बाद मुद्द्त के ये पैग़ाम क्यूँ है?

    बाग़ से कोई मेरा रिश्ता नहीं
    फूल से आ रहा सलाम क्यूँ है?


    waah......lajwaab....!!

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